बालाघाट में परंपरागत रूप से मनाया गया पोला पाटन और नारबोद का पर्व वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा रहा आकर्षण केंद्र!

लोकेशन बालाघाट, महेंद्र सिंह उईके

बालाघाट:- भारत देश को त्यौहारों का देश माना जाता है । यहां साल भर कोई ना कोई त्यौहार मनाने की परम्परा है । इसी कड़ी में हर साल भादो महीने में किसानों सहित आमजनों द्वारा पोला पाटन और नारबोद का पर्व मनाया जाता है । नारबोद पर्व के बारे में जानकार लोग बताते हैं कि वर्षों पूर्व चेचक की बीमारी का प्रकोप चला था । उस समय इसका कोई इलाज नहीं था । तब हमारे बड़े बुजुर्गों ने इस बीमारी को भगाने एक तरह का टोटका किया था जो सफल साबित हुआ । इसके अलावा बारिश के दिनों में कई तरह के संक्रमण रोग, जैसे खांसी, सर्दी, बुखार आदि बीमारियां अपने पैर पसारती हैं । जिससे निजात पाने भी इस दिन बुराई का प्रतीक मानकर पुतला बनाया जाता है । जिसका आवरण ओढ़कर ग्रामीण पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं और उसके बाद पुतले को गांव के बाहर एक निश्चित स्थान पर ले जाकर जला दिया जाता है । ऐसी मान्यता है कि इससे संक्रमण बीमारियां भाग जाती है । पुतला भ्रमण के दौरान ग्रामीण खांसी, खोखला, बुखार का नाम लेकर नारे लगाते हैं “घेउन जा री नारबोद” यानी इन बीमारियों को अपने साथ ले जा नारबोद । इसके अलावा पुतले पर सामाजिक तथा राजनीति के वर्तमान प्रसंग के नारे लिखे जाते हैं । जैसे इस बार “वोट चोर गद्दी छोड़” का नारा लिखा गया था । बता दें कि नारबोद पर्व के एक दिन पहले पूरे जिले में पोला पाटन का पर्व मनाया जाता है । इस दिन किसानों की खेती में सहायक बैलों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और उन्हें विशेष व्यंजन खिलाकर उनकी पूजा की जाती है ।

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