
सावन मास में कोटेश्वर धाम में भक्ति का अनुपम उत्सव-बोल बम और जय सियाराम की गूंज से शिवमय हुआ लांजी नगर

लांजी से लिलेश्वर बबलू खानोरकर की रिपोर्ट
बालाघाट:- सावन मास हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति और साधना का विशेष पर्व माना जाता है। यह महीना शिव भक्तों के लिए आध्यात्मिक उल्लास, उपवास और धार्मिक अनुष्ठानों का समय होता है। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की धर्मनगरी लांजी में स्थित कोटेश्वर धाम इस दौरान भक्ति और आस्था का एक अनुपम केंद बन जाता है। 12वीं शताब्दी में निर्मित यह प्राचीन मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला, प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए विख्यात है। सावन मास और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों का उत्साह चरम पर होता है, और मंदिर परिसर भक्ति के रंग में रंग जाता है।
कोटेश्वर धाम में भक्ति का उत्सव सावन मास में कोटेश्वर धाम में भक्ति का
अनुपम माहौल देखने को मिलता है। चारों ओर बोल बम और हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते हैं, जो पूरे वातावरण को शिवमय बना देते हैं। इस दौरान मंदिर में कई धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें कांवड़ यात्रा, जलाभिषेक, पार्थिव शिवलिंग निर्माण, धुनी दरबार में हवन-पूजन और भंडारा जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। ये आयोजन मंदिर परिसर को मेले से उत्सव में बदल देते हैं।
कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा सावन मास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त पवित्र नदियों जैसे चैरी, सोन, देव, बाघ व वैनगंगा या अन्य जलस्रोतों से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए कोटेश्वर धाम पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं, जो शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं। मान्यता है कि कोटेश्वर धाम के शिवलिंग में दिव्य शक्तियां हैं, और सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विविध धार्मिक आयोजन
सावन मास के प्रत्येक सोमवार को कोटेश्वर धाम में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन किया जाता है।एकल अभियान संच-लांगी अखण्ड श्रीरामचरित मानस पाठ होने पर कथा, अभिषेक और प्रसाद वितरण जैसे कार्य करते हैं। मंदिर परिसर में पार्थिव शिवलिंग निर्माण का विशेष महत्व है, जिसमें भक्त मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करते हैं। धुनी दरबार में हवन-पूजन का आयोजन भी भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र होता है। ये सभी अनुष्ठान मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक भक्तिमय बनाते हैं। इसके अलावा, सावन शिवरात्रि के अवसर पर कोटेश्वर धाम में विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, और मंदिर परिसर बोल बमझ के जयकारों से गूंज उठता है। प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं, ताकि भक्तों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।
राम नाम की गूंज-अखंड रामायण पाठ
इस वर्ष कोटेश्वर धाम में एकल संच खण्ड लांजी द्वारा 30 दिवसीय अखंड श्रीरामचरितमानस पाठ का आयोजन किया गया है। यह पाठ 11 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान मंदिर परिसर में राम नाम की गूंज सुनाई देती है, और भक्त जय सियाराम कहकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से आए भक्त इस संगीतमय पाठ में शामिल हो रहे हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भक्तों के बीच एकता और समरसता का संदेश भी देता है। जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस आयोजन में हिस्सा लेकर बाबा कोटेश्वर नाथ के दर्शन करते हैं और खुद को धन्य मानते हैं।
पुराने राम मंदिर में मास पारायण
लांजी के पुराने श्रीराम मंदिर में भी सावन मास के दौरान श्रीरामचरितमानस का मास पारायण आयोजित किया जा रहा है। यह पाठ प्रतिदिन सुचह 730 बजे से सवा घंटे तक होता है। मंदिर के महंत लक्ष्मीनारायण वैष्णव ने बताया कि 11 जुलाई से शुरू हुआ यह पाठ रक्षाबंधन के दिन 9 अगस्त को समाप्त होगा। इस दौरान भक्तजन उत्साहपूर्वक पाठ में शामिल हो रहे हैं और राम भक्ति में लीन हो रहे हैं। इस आयोजन से मंदिर का वातावरण राममय हो गया है, और भक्तों के बीच आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो रहा है।
कोटेश्वर धाम का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
कोटेश्वर धाम मंदिर, जो 12वीं शताब्दी में निर्मित हुआ, अपनी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर हरे-भरे जंगलों और प्राकृक्तिक जलस्रोतों के बीच स्थित है, जो इसे एक आदर्श ध्यान स्थल बनाता है। मंदिर की वास्तुकला अपने आप में अनूठी है, जिसमें प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक देखने को मिलती है। भक्तों का मानना है कि यहां के शिवलिंग में विशेष दैवीय शक्तियां हैं, जो सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं को स्वीकार करती हैं। सावन मास के दौरान कोटेश्वर धाम में होने वाले धार्मिक आयोजनों में न केवल स्थानीय लोग, बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु भी हिस्सा लेते हैं। महाशिवरात्रि और सावन मास में यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, भक्ति संगीत और धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। यह मेला भक्तों के लिए एक सामाजिक और आध्यात्मिक मिलन का अवसर प्रदान करता है।
प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा
सावन मास के दौरान कोटेश्वर धाम में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस और अन्य सुरक्षा बल तैनात रहते हैं। कांवड़ यात्रियों के लिए विश्राम स्थल, पेयजल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा, मंदिर में जलाभिषेक और दर्शन के लिए व्यवस्थित कतार प्रणाली लागू की जाती है।
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