
शिक्षक दिवस पर गुरुजनों का हुआ अनूठा सम्मान, वयोवृद्ध एवं अस्वस्थ गुरुजनों का उनके निज निवास जाकर किया गया सम्मान! अद्भुत एवं अनूठे सम्मान से भावुक हुए गुरुजन, खुशी से आंखें भी नम हुई।

जिला प्रतिनिधि- महेंद्र गनवीर, बालाघाट
उकवा:- आजकल वैसे तो शिक्षक दिवस हर स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मनाया जाता है या कहीं कहीं अलग स्थानों में भी मनाया जाने लगा है। परन्तु उकवा की सामाजिक संस्था सर्वधर्म सेवा समिति उकवा के सदस्यों ने इस बार कुछ अलग ही अंदाज में शिक्षक दिवस के पर्व को मना कर सबका दिल जीत लिया। समिति के सदस्यों ने वयोवृद्ध एवं बीमार शिक्षकों के घर जाकर शिक्षक दिवस पर उनका सम्मान किया। इस अनूठे सम्मान से शिक्षक भी भावुक हो गए और खुशी से उनकी आंखें भी नम हो गई।
शिक्षक दिवस अपने गुरु के प्रति अपने कृतज्ञता व्यक्त करने का वह पर्व जब उनके छात्र साल भर जो गुरु उन्हें विद्या प्रदान करते है,उनके प्रति अपने स्नेह को प्रकट करते हुए, उनका आभार व्यक्त कर उनका सम्मान करते है। बहुत सारे गुरुजन ऐसे है,जो आज उम्र के 80 या 90 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं और इस चमकीली दुनिया की चमक में कही खो गये हैं । उनके पढ़ाए छात्र भी अपनी जीवन चर्या में व्यस्त होकर अपने उन गुरुजनों को स्मरण नहीं कर पाते और शिक्षक दिवस पर वो शिक्षक जिन्होंने अपनी मेहनत से कई बड़े अधिकारी, शिक्षक और राजनेता व्यापारी पैदा किए ,वो सही सम्मान नहीं पा पाते। ऐसे तमाम उम्र दराज गुरुजन जो 70 वर्ष या उससे अधिक की आयु पूर्ण कर चुके है, ग्राम उकवा की सामाजिक संस्था सर्व धर्म सेवा समिति के सदस्य उनके निज निवास, उनके गृह ग्राम में घर घर जा कर उनके निवास पर उनके चरण धोकर उनकी आरती उतार कर उनका शाल श्रीफल से सम्मान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उम्र के इस पड़ाव में इतना सम्मान पा कर बहुत सारे गुरुजन बहुत भावुक होकर युवाओ को दिल से अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
इस वर्ष भी सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स बारीक के नेतृत्व में समिति के सक्रिय सदस्य नरेश बघेल, अखिल घरडे, नितिन कुमार, संतोष सोनी, सचिन पदमें, राहुल मेश्राम, राकेश सरपा, संदीप गजभिए, सर्वेश नागवंशी, प्रमोद मरकाम आदि सदस्यों द्वारा ग्राम गुदमा के 83 वर्षीय रोकड़े सर, ग्राम सोनपुरी के बिसेन सर 70 वर्ष, राहंगडाले सर, एफ एस घुले 87 वर्ष, येरपुडे सर, ग्राम पोंडी के डीएस ठाकरे सर, ग्राम उकवा के उजागवांकर मैडम, मार्को मैडम, धुर्वे सर, मर्सकोले सर, आदि वयोवृद्ध गुरुजनों का अनेक ग्रामों में घर घर जाकर शाल श्रीफल से सम्मान किया, जो अपने आप में बहुत ही अनूठा आयोजन था जिसने भी इसे सुना खूब सराहना की।
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